मेरा बचपन भी औरो की तरह क्यूँ नही है

जब स्कूलो की बस गलियो से गुजरती है।
जब पडने की इच्छा मेरे मन में घर कर जाती है।
तब मन ठिठक जाता है और एक सवाल करता है।
मेरा बचपन भी औरो की तरह क्यूँ नही है।

जब बच्चे कपडे और खिलौनो की जिद करते है।
रगं-बिरंगी आइसक्रीम खाने की जिद करते है।
तब मन ठिठक जाता है और एक सवाल करता है।
मेरा बचपन भी औरो की तरह क्यूँ नही है।

सपने मै कैसे देखूँ रात को सो ही नही पाता हूँ।
सुबह उठकर खाने का जुगाड करना है।
तब मन ठिठक जाता है और एक सवाल करता है।
मेरा बचपन भी औरो की तरह क्यूँ नही है।

जब राह चलते किसी की और आशा की नजरो से देख लेता हूँ ।
जब कोई दुत्कार के चोर कहता है
तब मन ठिठक जाता है और एक सवाल करता है।
मेरा बचपन भी औरो की तरह क्यूँ नही है।


तारीख: 22.06.2017                                    रामकृष्ण शर्मा बेचैन









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