मेरी जान

आज दुल्हन के लाल जोड़े में,
उसकी सहेलियों ने सजाया होगा।

मेरी जान के गोरे हाथों पर,
सखियो ने महन्दी को लगाया होगा।
बहुत गहरा चढा होगा महन्दी का रंग,
उस महन्दी मे उसने मेरा नाम छुपाया होगा।।

खुद को जब देखेगी आईने  मे तो,
अक्स उसको मेरा नजर आया होगा।
रह रहकर रो पड़ेगी,
जब भी उसे मेरा ख्याल आया होगा ।।

लग रही होगी एक सुंदर सी बाला,
चाँद भी उसे देखकर शरमाया होगा।

        आज मेरी जान ने 
अपने माँ-बाप की इज्जत को बचाया होगा,
उसने अपने बेटी होने का फर्ज निभाया होगा।

मजबूर होगी वो बहुत ज्यादा सोचता हूँ,
कैसे खुद को समझाया होगा ।
अपने हाथों से उसने हमारे,
प्रेम-पत्र  को जलाया होगा।।

खुद को मजबूर बनाकर,
उसने दिल से मेरी यादो को मिटाया होगा।
भूखी होगी वो मै जानता हूँ,
पगली ने कुछ न मेरे बगैर खाया होगा।।

कैसे सम्भाला होगा खुद को,
जब फेरो के लिए उसे भुलाया होगा।
काँपता होगा जिस्म उसका जब पंडित ने उसका हाथ,
किसी और के हाथ में थमाया होगा ।।

रो-रोकर बुरा हाल हो जायेगा उसका,
जब वक़्त बिदाई का आया होगा।
रो पड़ेगी आत्मा भी,
दिल भी चीखा चिल्लाया होगा।।

आज मेरी जान ने अपने माँ-बाप की इज्जत के लिए,
अपनी खुशियो का गला दबाया होगा।
उसने बेटी होने का फर्ज निभाया होगा।।
 


तारीख: 08.04.2018                                    रोहिताश बैरवा




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