मेरी कलाई पर पड़ा ये कड़ा

मेरी कलाई पर पड़ा ये कड़ा,
कड़ा नही है ये बन्धेज़ है 
जो तुमने लगाई थी ।
उन दिनो 
जब मै तुम्हारे इनबॉक्स मे 
बिना तुम्हारी इजाजत के 
घुस गया था और तुमने रोका भी नही,
 शायद रोक लिया होता 
तो मै आज़ाद होता 
तुम्हारी यादों से, 
तुम्हारे एहसासों से,
 तुम्हारी कत्ल कर देने वाली आंखो से, 
तुम्हारे प्यार तुम्हारे गुस्से और इस कड़े से भी ।
वैसे अब ये कड़ा खूब फवता है मेरी कलाई पर बिल्कुल तुम्हारे जैसे ।


तारीख: 02.08.2019                                    ऋषभ शर्मा रिशु









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