अभिनय के लिहाज से मुझे अबतक का सबसे बुरा अभिनेता
घोषित किया जाना है और ये सही भी है
दरअसल सारी चीजों से इतर मुझे लगता है कि मैं बहत बुरी तरह एक अवसाद से ग्रसित हूँ
और वो अवसाद और कुछ नहीं मेरी मुस्कुराहट है ।
विरह और इतने सारे पीड़ा के बावजूद मुझे रोते रहना चाहिए
पर ऐसा नहीं है
मैं बहत चाहता कि अब रो दूँ पर आँसू आने से ठीक पहले मुस्कुरा देता हूँ अब ये मेरी खामियाँ है या फिर
एक नाटकीय रूप जिसे मैं बख़ूबी कर पूरी दुनिया के
सामने भद्दा अभिनय प्रस्तुत कर रहा हूँ
खैर
जो भी हो पर ये सौ टका सत्य है
कि मैं अपने अंतिम दौर में भी मुस्कुराता हुआ ही दिखूंगा ।