दोहे रमेश के शिवरात्रि पर 

 

बच्चे खड़े कतार में ,भूखे जहाँ अनेक !
वहीं दूध से हो रहा,भोले का अभिषेक !!
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जिसने भी दिल से किया,भोले का गुणगान !
बदले में उसको मिला ,मन चाहा वरदान !!
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भूत प्रेत पशु खग सकल,सभी थामकर हाथ !
भोले के परिवार में,. रहते हिलमिल साथ !!
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चन्दा साजे शीश पर,गल सर्पों का हार !
करें नित्य शव-भस्म से,महाकाल शृंगार!!
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दिनभर खाने को मिले, फरियाली बिंदास !
इसीलिये करते कई, शिव जी का उपवास !!
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भूखे को रोटी नहीं ,कभी खिलाई एक !
निराधार है आपका, शंकर का अभिषेक!!
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सोमवार का हो दिवस,सावन का हो मास !
खातिर पूजा के लिए, कहलाता है खास !!


तारीख: 19.03.2018                                    रमेश शर्मा









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