इतना शोर है मगर हर आहट को तुम्हारी पदचाप समझूं घनघोर अंधेरे हैं मगर हर परछाई में तुम्हारी छाप देखूँ कैसा था जीवन, जब तुम थे साथ अविस्मरणीय है पर स्वप्न में, हर बार देखूँ साथ छूटा, मोह न टूटा हाथ तुम्हारा, मेरे हाथों में हर बार देखूँ
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