मोहब्बत का फ़लसफ़ा

खफा होके कभी वफ़ा निभाया नहीं करते
नींदें चुरा के ख्वाबों में आया नहीं करते 
आसरा है आपका इसलिए हैं कहते 
मुस्कुराकर कभी दिल दुखाया नहीं करते

जमाने की निगाहों से कभी घबराया नहीं  करते 
डर डर के कभी मोहब्बत निभाया नहीं करते 
आसरा है आपका इसलिए हैं कहते 
शरमा के कभी नज़रें मिलाया नहीं करते

जिसके दिल में रहे उससे कभी दूर जाया नहीं करते 
फासले दिलों के यूँ मिटाया नहीं करते 
आसरा है आपका इसलिए हैं कहते 
हर किसी में हम रब को पाया नहीं करते


तारीख: 18.06.2017                                    विनीत शुक्ला









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