क्या जाति है क्या धर्म है ,
क्या रूप है क्या है रंग,
कृष्ण यीशु में ना कोई अंतर ,
कोरोना से सबकी जंग।
डरे सारे कोरोना से कि ,
चेहरे पे भी लगा नकाब,
रोड साफ है हवा पाक पर ,
घूमना हुआ नापाक।
चलना फिरना नापाक कि,
ईश्वर की है ऐसी तैसी,
ख़ुदा गॉड भी गायब शायब,
कोरोना की महिमा ऐसी।
ज्योतिष, प्योतिष, मुल्ला टूल्ला,
कुछ भी नहीं कुबूल,
दवा, दारू, जादू ,टोना ,मंतर ,
दुआ हुई फिजूल ।
कोरोना की महिमा चंद ,
पानी माँगे एटम बम ,
गुरुद्वारा व मस्जिद बन्द ,
चर्च बन्द है टेम्पल बन्द।