परिस्थितियों के उतार चढ़ाव

लोग मौत से लड़े
हम जिंदगी से लड़ते हैं
क्योंकि परिस्थितियों से उत्पन्न,
अभावों के झटके
यही सहने पड़ते हैं
जिंदगी एक सांप सीढ़ी का खेल थी
इस खेल में सीढ़ी की तलाश करते हैं
वह कुछ पल और लम्हे खुशी के
निराशा के समय याद करते हैं
जिंदगी एक सुरंग की तरह लगी
सुरंग के अंत में बिजली का इंतजार करते हैं
जिंदगी चली मगर बड़ी रुक रुक के
थके हुए कदमों से मंजिल की चाह रखते हैं


तारीख: 23.06.2024                                    प्रतीक बिसारिया




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