रावण रण में फिर क्या होगा

रावण रण में फिर क्या होगा


था विदित  राम को रावण को था

मर्यादा परिज्ञान नहीं,

वध करना था न्याय युक्त 

बेहतर कोई इससे त्राण नहीं।

फिर भी मर्यादा प्रभु राम ने 

एक अवसर प्रदान किया,

रण तो होने को ही था पर 

अंतिम एक निदान दिया।

 

रावण भी दुर्योधन तुल्य ही 

निरा मूर्ख था अभिमानी,

पर मर्यादा पुरुष राम थे 

निज के प्रज्ञा की हीं मानी।

था विदित राम को कि रण में 

भाग्य मनुज का सोता है,

नर जो भी लड़ते कटते है 

अम्बर शोणित भर रोता है।

 

इसी हेतु तो प्रभु राम ने 

अंतिम एक प्रयास किया,

संधि में था संशय किंतु 

किंचित एक कयास किया।

दूत बना के भेजा किस को 

रावण सम जो बलशाली,

वानर श्रेष्ठ वो अंगद जिसका 

पिता रहा वानर बालि।

 

महावानर बालि जिसकी 

क़दमों में रावण रहता था,

अंगद के पलने में जाने 

नित क्रीड़ा कर फलता था।

उसी बालि के पुत्र दूत बली 

अंगद को ये काम दिया,

पैर डिगा ना पाया रावण 

क्या अद्भुत पैगाम दिया।

 

दूत बली अंगद हो जिसका 

सोचो राजा क्या होगा,

पैर दूत का हिलता ना

रावण रण में फिर क्या होगा?

 


तारीख: 12.03.2024                                    अजय अमिताभ सुमन









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