साथ अब छूटने को है हौसला अब टूटने को है सवालों के घेरे में अब जीवन मजा, कहां रूठने में है उठने की ताकत नहीं सजा, अब बैठने में है किसके चेहरे पर थी अस्त होते सूरज की लालिमा, पहेली यह अब बूझने को है
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