तुम्हारे बिन

तन्हाई मैं, तुम्हें याद कर लूं
अंधेरों में, तुमसे बात कर लूं

साहस नहीं,किसी से तुम्हारा जिक्र कर लूं
इस कसक को मैं आत्मसात कर लूं

आओगे तुम, एक दिन हवाओं में
यह एहसास में दिन रात कर लूं

तुम थे,अब नहीं हो
मुश्किल है पर, स्वीकार कर लूं

खुशबू थी जो हवाओं में बिखर गई
कैद उसको यादों में एक बार कर लूं

उजड़ा है आशियाना, तुम्हारे जाने से
असंभव है, कैसे पुनर्निर्माण कर लूं

आएगा वह दिन जीवन में फिर कभी
 विश्वास है, तुम्हारा दीदार कर लूं 

आऊंगा जरूर तुमसे मिलने
 बस कुछ देर और इंतजार कर लूं

पखेरू हो तुम, हवाओं में उड़ते हो
 हुनर, अब यह मैं भी,अख्तियार कर लूं
 


तारीख: 23.06.2024                                    प्रतीक बिसारिया






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