उदघोष वंदेमातरम

असंख्य नयन जाग उठे कर रहे हैं आरती
तथास्तु कह वरदान देती ममतामयी माँ भारती
देश करम हैं देश धरम हैं
उदघोष वंदेमातरम 
माँ तरम माँ तरम, उदघोष वंदेमातरम 
वर्तमान का स्वर्णिम कल हैं पुण्य प्रवाह हैं सारथी
ऋषियों मुनियों से धरा सुशोभित पावन अपनी संस्कृति
मंगलमय हिंदुत्व सुधाएँ जहाँ धरा को सवांरती
तथास्तु कह वरदान देती ममतामयी माँ भारती
देश करम हैं देश धरम हैं
उदघोष वंदेमातरम 
माँ तरम माँ तरम, उदघोष वंदेमातरम 
शीर्ष सुशोभित है हिमगिरि कष्ट मंदाकनी निवारती
धन्य धान्य प्रकृति अपनी अलख विश्व जिसका प्रार्थी
बहुभाषी वर्ग जाति अपनी किंतु एकता पथ शांति
सबका साथ हो विकास फैले निज राष्ट्र की कांति
असंख्य नयन जाग उठे कर रहे हैं आरती
तथास्तु कह वरदान देती ममतामयी माँ भारती
देश करम हैं देश धरम हैं
उदघोष वंदेमातरम 
माँ तरम माँ तरम, उदघोष वंदेमातरम


तारीख: 18.04.2024                                    नीरज सक्सेना









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