लौटेंगे रूठे दिन

लौटेंगे रूठे दिन,
पेड़ों में हरियाली की तरह।
लौटेंगी मुस्कानें,
जैसे खिल उठें सुबह के फूल।
लौट आएगी ऊर्जा,
बच्चे की उन्मुक्त हंसी की तरह।
आस्थाएं लौट आएंगी,
बुजुर्गों के अनुभवों की तरह।
एक दिन देखना तुम,
सब कुछ लौट आएगा।
जो किए थे भले काम,
या बटोरे थे आशीर्वाद,
वे सब लौटेंगे सहारे बन किसी रूप में...
उत्साह बन, साहस बन लौटेंगे जीवन में।
और लौटेगा भूला हुआ सा कुछ और भी,
देखना तुम...।


तारीख: 10.04.2024                                    विशाल चौहान









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