काल्पनिक संसार

तेजी से बदलती दुनिया और टेक्नोलाजी के दौर मे हर किसी ने अपना एक अलग संसार बसा लिया है | कैसा संसार ? डिजिटल संसार , हाँ वही संसार जो आप के हाथ की हथेली मे है और अंगुली व अंगूठे से चलता है और आपको कंही भी दुर दराज बैठे व्यक्ति से जोड़ देता है | जो मोबाइल फोन के माध्यम से बनता है और सोश्ल मीडिया इन्स्टाग्राम , व्हाट्स ऐप , और फ़ेसबुक से चलता है | जिसमे एक क्लिक से किसी का स्टेट्स जाना जा सकता है | इमोजीस के माध्यम से भावो को व्यक्त किया जा सकता है , कमेंट करके क्रत्यग्ता को दर्शाया जा सकता है और लाइक करके दुसरे के लम्हो मे या सुख दुख मे सहभागी हुआ जा सकता है | आप किसी की ज़िंदगी मे कितनी अहमियत रखते है ये इससे समझा जा सकता है कि वह आपको अपने स्टेटस पर जगह देता है या नहीं | हर किसी के संसार का आकार उतना ही है जितनी उनकी फ्रेंड लिस्ट या कांटैक्ट लिस्ट लम्बी है |

इस काल्पनिक संसार ने आपको चौबीस घंटे ऑनलाइन कर दिया है और ऑफलाइन दुनिया से संपर्क खत्म कर दिया है अहसासों को कम किया है , बातचीत के सरोकार कम किए है | काल्पनिक दुनिया मे अपने आप को जीवित रखने की चाहत मे हमने आस पास की खुशियो को महसूस करना बंद कर दिया है | हम यादों को जहन मे नहीं रखना चाहते जिन्हे सोच कर खाली समय मे मुस्करा सके, किसी को बैठा कर लंबे लंबे किस्से सुना सके , बीती बातों को याद कर ठहाके लगा सके पर हम तो आजकल सब कुछ तस्वीरों मे कैद कर लेना चाहते है | खूबसूरत लम्हो को जीना नहीं चाहते बस चाहते है तो एक सुंदर तस्वीर या अच्छा सा विडियो जिससे दुसरो को दिखा सके की हम कितने खुश है और काल्पनिक संसार मे वाहवाही बटोर सके , वाहवाही भी किस से अपने उस छोटे से संसार से |

इस काल्पनिक संसार ने हमारे व्यवहार को इतना नाटकिया बना दिया है कि हम खुश होने का दिखावा करने लगे है | जो लम्हे , अवसर और दोस्त हमारे साथ है उनसे हम दुर होने लगे है | काल्पनिक संसार मे इतना खोने लगे है कि उनके पास होने के एहसास को जीने के बजाय मोबाइल मे दुर बैठे किसी के मैसेज और कमेंट के इंतज़ार मे तड़पने लगे है और ऑनलाइन ज़िंदगी के चक्कर मे ऑफलाइन खुशिया छोड़ते जा रहे है |

चैटिंग के इस दौर मे बातचीत मे भी कमी आई है , हमारे अंगूठे बतियाने लगे है पर जुबान और शब्द खामोश है | शब्द अहसासों की अभिव्यकती है जिससे दिल एक दुसरे से जुडते है तथा रिश्ते मजबूत होते है कहते है न कि बात करने से बात बनती है पर हम तो आजकल बात करना भूलते जा रहे है दुसरे के सामने खुद की सहज अभिव्यकती कर पाना कठिन हो रहा है बिना ईमोजी के सहारे भावो को व्यक्त करना मुश्किल हो गया है | इस काल्पनिक संसार ने हमे बतियाना , खुल के हँसना , इकरार और इज़हार सबसे दुर कर दिया है |

माना हम इस काल्पनिक संसार मे किसी भी वक्त किसी से भी लिखकर बात कर सकते है पर उसमे भाव हो सकते है पर भावनाएँ नहीं होती | जिसने हमे इतना निर्बल बना दिया है कि जिससे हम घंटो चैटिंग कर सकते है उससे मिनिटो फोन पे बात नहीं कर सकते क्योकि बात करने मे शब्दो की कमी और अभिव्यक्ति न कर पाने जैसी कमियां खलने लगती है | आपका काल्पनिक संसार भले कितना ही बड़ा हो हजारो दोस्तो और फालोर्स की लिस्ट हो पर उनमे से ऐसे कितने है जिनसे आप खुल के लम्बी लम्बी बाते कर सकते है सुख मे उनके साथ हंस सकते है और दुख मे रो सकते है | शायद आप पाएंगे की काल्पनिकता और दिखावे मे बस लिस्ट लम्बी होती चली गयी और आपका वास्तविकता मे संसार बहुत छोटा हो चला है जिसमे आपके फोन से सब आपके संपर्क मे तो है पर साथ मे कोई नहीं है |

आज इस काल्पनिक संसार ने हमे भले इतना करीब ला दिया हो की हम हर वक्त संपर्क मे हो परंतु ये संपर्क काल्पनिक तथा संबंध और भावना रहित है |


तारीख: 08.02.2024                                    कल्पित हरित









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है