उम्मीद बनाये रखो

 घनी अँधेरी रात है,
सर्वत्र सर्वनाश है,

जोश  न  उबाल  है 
हर कोई उदास है  


फिर भी सूर्य अपना वादा निभायेगा,
सुबह - सवेरे धरती पर फिर से आयेगा

इसलिये  उम्मीद   बनाये रखो
किरण एक ही सही पर जलाये रखो
रात बीतनी बाकी है
सुबह फिर अपनी झांकी है|


तारीख: 14.03.2025                                    शीलव्रत पटेरिया




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