मृत्यु

वो चुप सा
आज खामोश क्यों है
शांत चित
बेजान सा क्यों है
दूर क्षितिज को ताकती
पथराई बंद आंखे
गुमसुम धरा
स्याह 
सन्नाटा
चारो तरफ
फैलता विषाद
करूण सिसकिया
रोते बिलखते
करुण
हम तुम
नीर लिए
आंखों में
असंख्य
स्मृतियों संग


तारीख: 15.10.2017                                    मनोज शर्मा




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