आती है आवाज़ यही अब दिल के हर इक कोने से
रोक नहीं सकता है कोई मुझको तेरा होने से
जितना किस्मत में है प्यारे बस उतना ही पाओगे
और नहीं जो उसकी खातिर क्या होगा यूँ रोने से
मेरे जैसी प्रेम की पीड़ा कितनी बार सही तुमने
पूछ रही है राधा प्यारी अपने श्याम सलोने से
बंजारे जैसे जीवन है, अपना ठौर ठिकाना क्या
माया क्या बाँधेगी हमको दूर हैं पाने खोने से
सारे जंतर-मंतर केवल कमज़ोरों पर चलते हैं
ताकतवर का बाल न बांका होता जादू टोने से