दिल मेरा हैरान क्यूँ है

रूह उसकी परेशान नहीं क्यूँ दिल मेरा हैरान क्यूँ है
होंठ मेरे सूखते क्यूँ धडकनें बेजान क्यूँ हैं

कभी था हमसफ़र मेरा, आज मुहं वो फेरता है
रास्ते दोनों के काटते हैं आंखें ये अनजान क्यूँ हैं

किस्सों में बातें बहुत की, दिल मेरा सच ढूढंता है
आगोश में मेरे नहीं वो, खोयी ये पहचान क्यूँ है

तकरीरें, मेरी अब हो सके लाजवाब ना हों वैसी फिर भी
फब्तियां मुझ पर पीठ पीछे आज इतनी मेहरबान क्यूँ हैं

शायद उनको आ गयी हो, आहट खुद के उठते पांव की
वरना गली में आज मेरी फैला ये शमशान क्यूँ है


तारीख: 19.06.2017                                                        आयुष राय






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