ये दिल आशिकाना

ये दिल आशिकाना नई बात है क्या
है  दुश्मन ज़माना  नई बात है क्या।

सदा  देता  रहता  है ताने ज़माना
यूँ मुझको सताना नई बात है क्या।


नज़र  से  गिराना गिरा के उठाना
सितम है पुराना  नई बात है क्या।

नज़र कह रही है मुहब्बत है हमसे
यूँ दिल में छिपाना नई बात है क्या।

बड़ा लुत्फ़ आता ज़माने में उनको
रुला के  हँसाना नई बात है क्या।

मिले दर्द जितने ज़माने में हमकों
वो सबको सुनाना नई बात है क्या।

मुहब्बत  फ़रेबी  मुहब्बत पहेली
निगाहें  चुराना  नई बात है क्या।


तारीख: 14.02.2024                                    आकिब जावेद




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