घूस चरम सीमा पर होगी। नेता जी हैं सुविधा भोगी।।
मानव खुदगर्जी में अंधा, और हुआ स्वारथ का रोगी।
अधिकारों से वंचित है वो, होता पद से आज नियोगी।
मंत्रालय में धर्म चढ़ा है, निकलेंगे सब के सब ढोंगी।
जो भी चीज परे सरकाया, खूब लगी हमको उपयोगी।
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