इक अजनबी शहर में, तन्हाई का सफ़र है

इक अजनबी शहर में, तन्हाई का सफ़र है,
तेरी यादों के साये में, दिल दर-ब-दर है।

 

वो रात की ख़ामोशी, वो चांदनी की सर्द हवा,
तेरे बिना ये दुनिया, बिल्कुल बेअसर है।

 

तेरी हँसी की गूंज, वो बातों का सिलसिला,
अब हर ज़िक्र तेरा, दिल पे चलता ख़ंजर है।

 

हमने जो ख़्वाब देखे, कभी रंगीन थे बहुत,
अब हर ख़्वाब टूटा, जैसे काँच का समुंदर है।

 

तूने कहा था मुझसे, मिलेंगे फिर कभी,
अब तेरे बिना ये दिल, बिल्कुल बेख़बर है।

 

वो तेरा साथ पाना, वो तेरा हाथ थामना,
अब इन आँखों में बस, आँसुओं का सफ़र है।

 

तेरी ख़ुशबू से महकतीं वो राहें याद आती हैं,
तेरे बिना ये जीवन, सूना सा मंज़र है।

 


तारीख: 08.10.2024                                    मुसाफ़िर






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