जो पेड़ बसंत में दिखता है हरा सा ,
अन्दर से होता है बिल्कुल मरा सा |
ज़माने में मिलावट का ये आलम है ,
मुश्किल है मिलना इंसान खरा सा |
जो गैरों के लिये सीने में दरक झेले ,
कोई निस्वार्थ नहीं है यहां धरा सा |
बच्चों के पेट में निवाले हैं जाते पर ,
माँ को अपना पेट लगता है भरा सा |
जीवन को मतलब भी मिल जायेगा ,
प्यार का तुम बन के देखो झरा सा |
भले हर इंसान खुश लगता है अपूर्व ,
पर हर इंसान है अन्दर से डरा सा |
अपूर्व "आकर्षण"
झरा - झरना, स्रोत, सोता