कभी तो मेरे , बुलाने से आ।
यूँ ही नही ,किसी बहाने से आ ।
चढती बेल , कोई काट ना दे
छुपते छुपाते , जमाने से आ।
सिलसिला प्यार का , बना रहे
खुद अजमा कभी, मेरे अजमाने से आ।
रूठ जा ,ये हिस्सा है इश्क का
जिद कर फिर , मेरे मनाने से आ।
"बेचैन" को तड़पा दे ,मिलन के लिए
फिर कभी मेरे ,तड़पाने से आ।