ख्वाबो में ही मेरे ये आता कौन है

ख्वाबो में ही मेरे ये आता कौन है !
शब भर मुझे आखिर सताता कौन है!!

वो बेवफा जब छोडकर जा ही चुका;
यादो में मेरे फिर ये आता कौन  है !!

वादे तो करते है बहुत सब आजकल 
पर आजकल इनको निभाता कौन है !!

उठकर सुबह  मैं सोचता हूँ बस यही;
नींदों में ख्वाबो को सजाता कौन है !!

ये शाम ढ़लते कान के पीछे मेरे ;
मेरी ग़ज़ल ये गुनगुनाता कौन है !!

मैं रातभर बैठा रहा इस आस  में ;
देखूँ तो ये शम्मा बुझाता कौन है !!

सबने सुना है वक्त का किस्सा मगर ;
ये वक्त का किस्सा सुनाता कौन है !!

हँसने की कोशिश में रो पड़ता हूँ मैं जब ;
मैं सोचता हूँ ये रूलाता कौन है !!


तारीख: 17.06.2017                                     देव मणि मिश्र









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