मौत सर पे  मिरे  खड़ी होगी

Gazal Shayari Akib Javed

मौत सर पे  मिरे  खड़ी होगी
ज़ीस्त से तब भी दोस्ती होगी।

इस वबा ने  उजाड़  दी  नस्लें
आदमी ने ख़ता तो की होगी।

जब सफ़र रहा  यही  सोचा
माँ  मेरी दर पे ही खड़ी होगी।

भूलने वाले  आरजू  अपनी
भीड़  में  तन्हा  ढूँढती होगी।

मौत दुनियाँ को बांटता है जो
ज़िंदगी क्या उसे मिली होगी।

मौत का ख़ौफ़ है शहर में तिरे
ज़िंदगी  भी  डरी  - डरी  होगी।

सब्र   को  मेरे   आज़माता  है
मेरे दुश्मन ने कुछ तो पी होगी।

कैद  में  आदमी  का  ईमां  है
उम्र    कैसे   गुज़र  रही होगी।


तारीख: 04.01.2024                                    आकिब जावेद









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