मुझे इसका अंदाजा भी नहीं था ।
वो जो अपना था अपना भी नहीं था ।।
हमारी तो ये दुनिया भी नहीं थी ,
हमारा तो फसाना भी नहीं था ।।
वो भी मेरी तरह करता मुहब्बत ,
कि ऐसा कोई सौदा भी नहीं था ।।
बस इक हम उम्र ही तो हैं लुटाए ,
मुहब्बत तुझ में घाटा भी नहीं था ।।
तुम अब कुछ भी कहो ये है मुहब्बत ,
जिसे पाया था , पाया भी नहीं था ।।
तुझे हम इश्क़ में कुछ अब कहें क्या ,
दुखा था दिल दुखाया भी नहीं था ।।
वो मुझ सा 'देव' होता भी तो कैसे ,
के आखिर मैं तो खुद सा भी नहीं था ।।