अपने अश्क़ो को छिपाना सीखिए

अपने अश्क़ो को छिपाना सीखिए
गर्दिशों से  दिल  लगाना  सीखिए।।

है बहुत दिल को दुखाने के लिए
शहर भर को आज़माना  सीखिए।।

ज़िन्दगी उलझन में ही उलझी रही
हाथ सबसे ही मिलाना सीखिए।।

हो गया कमज़र्फ दिल सबका यहाँ
दर्द ए दिल का भी दबाना सीखिए।।

हाथ में क्या काँच ही सबके रहे
दिल को ही पत्थर बनाना सीखिए।।

बदले बदले से नज़र आते है सब
आँख से काजल चुराना सीखिए।।

जख़्म  देने कि तुम्हे है छूट पर
दिल  पे मर्हम भी लगाना सीखिए।।

अब कहे मुझसे ही खुदगर्ज़ी मिरी
आप भी हंसना हँसाना सीखिए।।

भूल जाते है वो आकिब' हर घडी
खुद कहानी अब बनाना  सीखिए।।


तारीख: 14.04.2024                                    आकिब जावेद




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