हमें आशियाँ हुआ बनाना।
कि बेमुरव्वत हुआ जमाना।।
सरकारी राजकोष में तो,
लुटा लुटा सा हुआ खजाना।
सीट बैठने को माँगी थी,
लेकिन केबिन हुआ जनाना।
जब दोस्ती का हाँथ बढ़ाया,
यहाँ दुश्मनी हुआ भँजाना।
कोशिश यही कि खुलकर बोलें,
मगर वहाँ तो हुआ लजाना।