दिवाली मनाएं खुशियाँ लुटाएँ


गरीबों  को  कपड़े  मिठाई दिलाएँ,
दिवाली   मनाएं   खुशियाँ  लुटाएँ।

सभी अपने -अपने घरों को सजाएँ,
जमी  हुई  रौशन  जहाँ  जगमगाएँ।

करें  नफ़रतों  को  जहाँ  से  रवाना,
चलो प्यार का दीप हम भी जलाएँ।

सभी मिलके कँधे से कँधा मिला ले,
बुराई    मिटाएँ   मुहब्ब्त   निभाएँ।

हंसी  ज़ीस्त  की तो यही आरज़ू है,
घने  अँधेरे  में  दीया  इक  जलाएँ।

चलो आज भूखें को खाना खिला दे,
किसी भूखें की भूख हम भी मिटाएँ।

सभी को गले से चलो अब लगा ले,
ग़रीबो की मिलके सभी ले दुआएँ।


तारीख: 31.12.2023                                    आकिब जावेद




रचना शेयर करिये :




नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है