है फरेबी ये किसी को भी तू सच्चा न समझ

वायदा ही जो करे उसको तू भोला न समझ !!
है फरेबी ये किसी को भी तू सच्चा न समझ !!

ये है दुनिया कि इसे जानो कभी पास से तुम ;
दिख रहा जितना कभी उसको तू उतना न समझ !!

टूटकर भी जो जिंदा है के अभी तक वो दिल ;
हार तो जाता है पर उसको तू हारा न समझ !!

साथ  है  याद  तेरी और  है  यादों में तू
ऐ सफ़र राह में मुझको तू अकेला न समझ !!

सदियों से है तू मेरा और है जन्मों का प्यार ;
तुझको समझा तो रहा हूँ तू समझ या न समझ !!

चेहरे  पर  ये  इसी से  है  उजाला आया ;
तन्हा रातों के अंधेरे को अंधेरा न समझ !!


तारीख: 16.06.2017                                     देव मणि मिश्र









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