वे हमारी वफा आजमाने लगे।
अक्ल ऐसी जरा तो ठिकाने लगे।।
खामुशी तब रहेगी यहाँ पर मियाँ,
शोर गुल आज से दूर जाने लगे।
आपसे मुद्दतों बाद हैं सामने,
जो समय छोड़ आए सुहाने लगे।
गाँव में लालची लोग हैं हर जगह,
वे हमारी कमी ही गिनाने लगे।
पेड़ की छाँव में बैठकर यूं लगा,
पात के आज ज्यों शामियाने लगे।