मैं खो गया हूँ

पल- पल बहुत यूं याद आएगी मुझे
ये आग दिल की यूं जलाएगी मुझे

खुद ज़िंदगी खुद से मिलाएगी मुझे
खुद दूर जाके पास लाएगी मुझे

मैं खो गया हूँ अब न जाने किस जहाँ
क्या ज़िंदगी भी ढूंढ लाएगी मुझे

अब ले रही है इम्तिहाँ ये ज़िंदगी
वो हौसलों से ही बढ़ाएगी मुझे

है इल्म की दौलत जो मेंरे पास में
ये आसमाँ में अब उड़ाएगी मुझे

सब साथ रहते है वतन के अपने हम
कैसे सियासत अब डराएगी मुझे

है राह में काँटे,सफ़र भी सख़्त है
मंज़िल की चाहत ही जगाएगी मुझे

 


तारीख: 08.02.2024                                    आकिब जावेद




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