मुद्दा कोई भी उछालो मगर एहतराम के साथ

gazal shayari shaitya mnajari

मुद्दा कोई भी उछालो मगर एहतराम के साथ
आसमां सर पे उठालो मगर एहतराम के साथ

चलते भी रहो और सांस भी ना फूले ऐ दोस्त
दौड़ने का हुनर पालो मगर एहतराम के साथ

पत्थर तो पत्थर है चाहें सर तेरा हो या मेरा हो
मिलकर हल निकालो मगर एहतराम के साथ

ये झगड़े ये दंगे ये फसाद सब बलाऐं ही तो हैं
बला को सर से टालो मगर एहतराम के साथ

मूरत ही तो है कभी भी गिरकर टूट सकती है
उसको सांचे मे ढालो मगर एहतराम के साथ


तारीख: 27.01.2024                                    मारूफ आलम









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