सब कोशिशें फिर नाकाम हुईं

सब कोशिशें फिर नाकाम हुईं हवाओं के सामने
ये दौर भी बैबस नजर आया वबाओं के सामने

हकीकी रब को भूलाकर जमाना ना जाने क्यों
नतमस्तक है अभी तक झूठे खुदाओं के सामने

मां बाप,बेटा बेटी,भाई बहन,हर एक दिन यहाँ
जल रहा है कोई ना कोई चिताओं के सामने

दुआ शौहरत इज्जत वकार कुछ काम ना आया
सारे अल्फाज दब गए तेरी सदाओं के सामने

कसम है अब कभी कहीं रुतबे की बात न करना
हर रूतबा छोटा पड़ गया,देख दवाओं के सामने


तारीख: 06.02.2024                                    मारूफ आलम









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