धराड़ी अपनाओ

         ( मनहरण कवित्त छन्द )

 

              धराड़ी अपनाओ

 

 

अविस्मरणीय अनोखी आदिवासी संस्कृति,

जल-जंगल-जमीन-जीवन के धणी है।

प्राचीन प्रथाएँ भूले भ्रमित होकर हम,

वैवाहिक विधि विशिष्ट धराड़ी बणी है।

प्रकृति पुकारे धीर धराड़ी धारण करो,

जय जोहार की शिक्षा साथी सच्ची घणी है।

परिक्रमा पवित्र प्यारे कुलवृक्ष की करो,

“मारुत” मत लुटो प्यारी प्रकृति धणी है।।

 

 

             


तारीख: 06.08.2025                                    पवन कुमार "मारुत"




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