हिन्दी हृदय हमारा है

          ( मनहरण कवित्त छन्द )

 

            हिन्दी हृदय हमारा है

 

 

हिन्दी हरेक हिन्दुस्तानी की आन-बान-शान,

बनी रूह रक्त रग-रग में समाई है।

हृदय हमारा हरियाता हिन्दी सुनकर,

रोम-रोम रमी कैसी कलित कमाई है?

जोड़े जन-जन को सहजता से साथी हिन्दी,

सरल, सरस, सुहृद सब सुहाई है।

भारत को जानना है तो तुम हिन्दी को जानो,

भाव भरी भाषा भली भारी भव भाई है।।

                                         ( 01 )

 

 

भारत की पूर्ण पहचान है हमारी हिन्दी,

केवल भाषा नहीं, भावनाओं का ज्वार है।

भारत की साझा संस्कृति को दर्शाती है हिन्दी,

इतिहास की वाहक विरासत द्वार है।

भोले-भाले भारतीय लोगों की श्वास समान,

हिन्दी जन-जन का कलित कंठहार है।

“मारुत” मेरे मानस में बसी है प्राणप्यारी,

हिन्दी हमने ना पढ़ी तो ज़िन्दगी ख्वार है।।

                                          ( 02 )

 

 

 

 

 


तारीख: 15.09.2025                                    पवन कुमार "मारुत"




रचना शेयर करिये :




नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है