
( मनहरण कवित्त छन्द )
हिन्दी हृदय हमारा है
हिन्दी हरेक हिन्दुस्तानी की आन-बान-शान,
बनी रूह रक्त रग-रग में समाई है।
हृदय हमारा हरियाता हिन्दी सुनकर,
रोम-रोम रमी कैसी कलित कमाई है?
जोड़े जन-जन को सहजता से साथी हिन्दी,
सरल, सरस, सुहृद सब सुहाई है।
भारत को जानना है तो तुम हिन्दी को जानो,
भाव भरी भाषा भली भारी भव भाई है।।
( 01 )
भारत की पूर्ण पहचान है हमारी हिन्दी,
केवल भाषा नहीं, भावनाओं का ज्वार है।
भारत की साझा संस्कृति को दर्शाती है हिन्दी,
इतिहास की वाहक विरासत द्वार है।
भोले-भाले भारतीय लोगों की श्वास समान,
हिन्दी जन-जन का कलित कंठहार है।
“मारुत” मेरे मानस में बसी है प्राणप्यारी,
हिन्दी हमने ना पढ़ी तो ज़िन्दगी ख्वार है।।
( 02 )