हे प्रिय ! लौट आओ ,लौट आओ

हे प्रिय ! लौट आओ ,लौट आओ ।
तुम मेरे तन के प्राण सरीखे ,
फिर से दिल धड़काओ ।। हे प्रिय !...

तुम बिन यहाँ कुछ न सुहाता ।
तेरे विरह का दुःख न समाता ।।

मुझ विरही पर विरह भी रोता ,
आके इसे चुप कराओ । हे प्रिय !........I

देखों वन में राम भी हैं जाते ।
चौदह बरस पे वापस आते ।।

मौसम सारे फिरि फिरि आते ,
 तुम भी तो अब आओ। हे प्रिय !........

तुम क्या गये कि फिर नही आये ।
तुम को यहाँ हम कितना  बुलाये ।।

प्रतीक्षा में तेरी धीर खो रहे हम,
आकर धीर धराओ। हे प्रिय !........

सबको छोड़ा जग को छोड़ा।  
नेह का  बंधन  पर  न तोड़ा ।।

टूटे न डोरी आस विश्वास की  ,
प्रीत की लाज बचाओ ।
हे प्रिय ! लौट आओ ,लौट आओ ।।


तारीख: 22.06.2017                                     देव मणि मिश्र









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