इस बार जो बच पाओ तो

पृथ्वी दिवस की शुभकामनाएं !


आज जब संपूर्ण मानव सभ्यता 'कोरोना' के चलते अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही है तब हमें अपनी इस धरती के साथ दोबारा किसी भी प्रकार का खिलवाड़ न करने की  प्रतिज्ञा लेनी ही होगी !


इस बार जो बच पाओ तो
बचा लेना हरी शाख को,
कि वह फिर 
ठूंठ न बन पाए! 
इस बार जो बच पाओ तो 
कान धर कर सुन लेना,
जब पंछी, 
चहचहाते हुए लेने आएं, 
अपने हिस्से का
दाना-पानी !
इस बार जो बच पाओ तो
दे देना मछलियों को ,
सागर का किनारा ,
कि कही वे तड़पकर 
कांच के घर में 
ही न मर जाएं! 
इस बार जो बच पाओ तो,
पतंग को छोड़ देना 
खुले आसमान में, 
कि गल्ती से कहीं 
मांझे से ही न 
बंधी रह जाए! 
इस बार जो बच पाओ तो 
हर हाल में जिंदा रखना 
दिलों में इंसानियत,
कि हैवान भी,
तुमपर नज़र डाले तो 
शर्मिंदा न हो पाए! 
इस बार जो बच पाओ तो 
तितली को पकड़ने की 
कोशिश हरगिज़ न करना,
कि कहीं हाथ पर लगे 
पंखों के रंग फिर,
छूट ही न पाएं !
इस बार जो बच पाओ तो
हर जीव को उसके हिस्से की 
ज़मीन सौंप देना,
कि अपने हिस्से की मिट्टी में 
सो सको तुम भी 
एक दिन चैन से! 
इस बार जो बच पाओ तो
चुका देना हर कर्ज धरा का,
कि तुम्हें इंसान समझकर 
उसने न जाने
कितनी ही नायाब नेमतें 
तुमपर बिन मांगे ही 
न्यौछावर कर डाली थीं! 
बस, 
इस बार जो बच पाओ तो


तारीख: 24.04.2020                                    सुजाता









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है