
( कविता )
जिम्मेदार हम ही हैं
ढोंगी पाखण्डी धूर्त युवा ठग
कल जो भूखे भिखारी थे,
आज प्राइवेट जेटों में घूमते है
और ठठरी बाँधते रहते हैं सच बोलने वालों की।
हमारी मूर्खताओं के कारण
हमारी नासमझी के कारण
हमारी जड़ बुद्धि के कारण
हमारी मृत मान्यताओं के कारण
हमारी मानसिक गुलामी के कारण
हमारी अन्ध श्रद्धा के कारण
हमारी दान देने की करुणा के कारण
हमारी अवैज्ञानिक अन्धी सोच के कारण
हमारी अत्यधिक अशिक्षा के कारण
हमारी चढ़ावा चढ़ाने की लाइलाज बीमारी के कारण
और हमारी हरदम हरियाती धर्मान्धता के कारण।
क्या कभी सोचा है आपने
ये नए-नए मुर्गे फलते-फूलते जा रहे हैं हरदिन,
भोले-भाले भारत के लोगों का रक्त चूसकर,
इसका वास्तविक जिम्मेदार कौन है?
इसकी असली जिम्मेदार है हमारे अन्तर्तम में छुपी हुई धर्म भीरुता,
सच पूछो तो इसके जिम्मेदार हम ही हैं
जो चढ़ावा चढ़ाते हैं बिना सोचे-समझे
पाखण्डपूर्ण पंकिल परम्पराओं में पड़कर प्रतिदिन।।