सुना है ,
भूख का स्वाद चख कर कलम रोटी पर लिखती है !
फटी जेब से झांकती कलम दौलत पर लिखती है!
सात तालों में छटपटाती कलम आज़ादी पर लिखती है!
दिनभर काम ढूंढती कलम रोजगार पर लिखती है!
परदेस में उदास बैठी कलम देशप्रेम पर लिखती है!
बेसहारा भटकती कलम परिवार पर लिखती है!
मेरी कलम बस प्रेम पर लिखती है!