मैं सहारा हूँ सबका एवं अन्य कविताएँ

                  कविता - 01 

 

          ( मनहरण कवित्त छन्द )

 

संविधान सहायक समानता स्थापना में,

             परम पवित्र पाक पुस्तक प्राणी पढ़ो।

अधिकार अरु कर्तव्य की कहानी कहता,

          पिछड़े पीड़ित प्राणी की परेशानी पढ़ो।

दास्तान दिखाई देती दीन दुखी दरिद्रों की,

          सद्भाव संग सब साथी-संगी आगे बढ़ो।

“मारुत” महान संविधान सब ग्रंथन में,

              बढ़ाओ ज्ञान गुण गौरव गरिमा गढ़ो।।

 

 

 

                  कविता - 02 

 

          ( मनहरण कवित्त छन्द )

 

 

पहले पढ़ो पुस्तक पहचानो कहती क्या,

            पंकिल पाखण्डियों का कहना मत मानो।

शूद्र शौक से कराते पाठ पाखण्ड पोथी का,

             शोषण शूद्रों का करती गुप्त गल्प जानो।

भव भेद भरती भय भावना भयंकर,

         कल्पित कथा को सत्य “मारुत” मत मानो।

 पाठ पढ़ो पढ़ाओ प्यारे साथी संविधान का,

              जन जागरण जगाओ जागो जग जानो।।

 

 

                  कविता - 03 

 

          ( मनहरण कवित्त छन्द )

 

 

भुवन भय भरा भारी भूत भगवानों का,

                 स्वर्ग-नरक का दारुण दुख दिखलाते।

भ्रमित भोले-भालों को दिखाते स्वप्न स्वर्ग के,

                    नरक नष्ट करने की विद्या बतलाते।

पाखण्डी पाखण्ड प्रचार प्रतिपल करते,

                    डरा-डराकर ढोंग ढकोसले फैलाते।

अति आमदनी आती आडम्बरों से “मारुत”,

                   मनुष्य मूढ़ बनाके धर्म-धन्धा चलाते।।

 

 


तारीख: 26.05.2025                                    पवन कुमार "मारुत"




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