मरते बस इंसान हैं

Hindi Kavita Sahitya amnjari

बम नही मरते,तोपें नही मरतीं
गोलियां नही मरतीं,बंदूकें नही मरतीं
मरते बस इंसान हैं


जंग के बाद का नुकसान 
कोई फरिश्ता नही भरता
भरते बस इंसान हैं
गोलियां नही मरतीं बंदूकें नही मरतीं
मरते बस इंसान हैं


खुदा किसी से नफरत नही करता
करते बस इंसान हैं
गोलियां नही मरतीं बंदूकें नही मरतीं
मरते बस इंसान हैं


मरने से कभी कोई मिसाइल नही डरती
डरते बस इंसान हैं
गोलियां नही मरतीं बंदूकें नही मरतीं
मरते बस इंसान हैं


तारीख: 12.01.2024                                    मारूफ आलम









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