हमारे ईष्ट श्री गणेश प्रथम पूज्य आप है।
दूर करते सभी विघ्न, क्लेश, सन्ताप है।
एकदंत, सुंदर कानन, मोदकप्रिया आप है।
माता पार्वती, पिता महादेव नन्दन आप है।
पधारे रिद्धि सिद्धि पत्नियों संग आप है।
शुभ, लाभ के पिता जगत पालनहार आप है।
गजकर्ण में व्याप्त वैदिक ज्ञान भी आप है।
सूंड में धर्म और आँखों का लक्ष्य भी आप है।
बाएं हाथ का अन्न, दाएं का वरदान आप है।
पेट में सुख समृद्धि नाभि का ब्रह्मांड आप है।
मस्तक में ब्रह्मलोक चरणों में सप्तलोक आप है।
भक्तों को प्रदान करते सुख, समृद्धि, प्रताप है।
सुखकर्ता, दुखहर्ता, विघ्न विनाशक आप है।
सँसार के दूर करते आप सभी अनिष्ट, पाप है।