हे मेरे प्रिय तुम !
कैसे हो ?
क्या अब भी किसी फिल्मी हीरो जैसे हो ?
क्या अब भी हरदिल अज़ीज़ हो
क्या अब भी घुमक्कड़ी के मुरीद हो ?
क्या लड़कियां तुम्हें देखकर
अब भी लगाती हैं तुम्हारे घर-आफिस के चक्कर ?
तुम्हारी छोटी छोटी बातें क्या आज भी देती हैं
बड़े बड़े सपनों को टक्कर ?
तुम्हारा जोश क्या
अब भी उतना ही हाई है ?
एक फोन पर दौड़ते रहे जिनके लिए तुम
क्या कभी उनका नंबर तुमने भी किया ट्राई है ?
पुराने दोस्तों संग जमाते हो
क्या अब भी महफिल?
तुम पर क्रश रखने वाली उस लड़की से
क्या आज भी हो गाफिल ?
वक्त के तुम भी तो सताए होंगे
दुनिया ने तुम्हें भी तो रंग दिखाए होंगें ?
लेकिन मुझे यकीन है तब तुम
जरा भी न घबराए होंगे !
मेरे लिए तुम्हारे शहर के नाम का ही
एक पर्यायवाची हो तुम ।
लगता है अपनो संग तुम आज भी वहीं हो गुम ।
एक उम्र बाद
अब दोबारा आई हूं इस शहर में
तो देखकर सड़क पर
तुम्हारे जैसी ही एक बाईक
अचानक कर गई है बिसरी बातें स्ट्राइक ...
सुनो,
वो झील क्या अब भी पानी से भरी है
उसके किनारे लगे पुराने पेड़ की शाख
क्या अब भी उतनी ही हरी है?
सुना है अपनों के लिए तुम्हारी जेब
अब भी पहले सी ही भरी है
फिर क्यों तुम्हारी आंख में जरा सी नमी है
कहो ,क्या किसी बात की तुम्हे कमी है ?
बताओ न प्रिय
कैसे हो ?
क्या अब भी लाड़ से पुकारते
अपने बाऊजी की
राधारानी जैसे हो ?
#Sugyata स्त्रीrang सुजाता
#memories #memoriesforever #soulful #Soulmate #positivevibes #life #lifequotes #hindipoetry साहित्य मंजरी - sahityamanjari.com Akb Entertainment Sahitya Akademi Hindinama हिंदी पंक्तियां
'ट्राम' में अपनी प्रेमिका को याद करते एक प्रेमी के हृदय को ज्ञानेंद्रपति जी ने अपनी कविता में जिस प्रकार निकाल कर रखा उसी से प्रेरित ये पंक्तियां किसी प्रेमिका द्वारा अपने प्रेम की स्मृतियों को सहेजने का प्रयास कर रही है।