पिता जीवन का आधार

*विश्व पितृ दिवस के अवसर पर*

Hindi Kavita Sahitya manjari

त्याग,बलिदान का मूर्त है पिता।।
बच्चो का मान,सम्मान है पिता।।
जीवन की दुपहरी का छाव है पिता।।
बच्चो के दिल का लगाव है पिता।।
समय सा निरन्तर चलता है पिता।।
चेहरें की झुर्रियों से बूढ़ा है पिता।।
तकलीफों को अपने भूला है पिता।।
बच्चो के जीवन का आधार है पिता।।

बचपन  में  जिसने चलना सिखाया।।
कदम-कदम  पे  यूं  हौसला बढ़ाया।।
छोटी छोटी ग़लतियो पे डाटा दपकाया।।
सांस्कृतिक मूल्यों की कदर समझाया।।
जीवन  में हमें ऊंचाइयों पर पहुँचाया।।
उसने अपना बख़ूबी कर्तव्य निभाया।।
ईश्वर ने उसे अपना दूजा रूप बनाया।।
पिता को जीवन का आधार बताया।।

स्वप्नों में रंग,कल्पना को उड़ान मिले।।
उसके  नाम से ही हमे पहचान मिले।।
घर,परिवार,नात रिश्तेदार,मान मिले।।
छोटी छोटी खुशियों को स्थान मिले।।

आँगन में  बाबुल  के हम खिले बढ़े।।
रोता हुआ  ही बाबुल  विदा भी करे।।
सबकी ख्वाइशों को भी वो पूरा करे।।
वो बच्चो की खतिर सुपर हीरो बने।।
पिता जी बच्चों से कितना प्रेम करे।।
पिता हमारे जीवन का आधार बने।।


तारीख: 04.01.2024                                    आकिब जावेद









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