एक अभियान और चल रहा था
पॉलिथीन पर बैन लग रहा था।।
लग रहा था !नामोनिशान मिट गया।
आदत में आ ही जाता की हट गया।।
जैसे ही लगा था बैन होश उड़ गए।
लेन- देन वाले सब सोच में पड़ गए।।
कैसे आएगा सामान और कैसे बटेगा।
क्यों लग रहा है बैन और कब ये हटेगा।।
काम था कठिन पर असंभव नहीं था।
इस पर काबू पाना क्या संभव नहीं था?
पहले भी तो दूध !कैनों में आया करता था।
सब्जियों के लिए थैला जाया करता था।
आटे के लिए पीपे हुआ करते थे।
पॉलिथीन के बगैर भी तो हम जिया करते थे।।
पॉलिथीन ने अब तो जिया ही ले लिया।
कई बीमारियों का दर्द दे दिया।।
अब तो पॉलिथीन हमारी लाचारी है।
'कुछ नहीं होता ' कि हमें लग गई बीमारी है।।
तभी तो हमसे कुछ काम नहीं होता।
नहीं तो पॉलिथीन का नामो निशान नहीं होता।।