शहीद

 मातृभूमि पर सिर नवाते रहे
 कब सर नजर कर गए
 वह रण बांकुरे अपने आप को अमर कर गए
 जलते रहे यह दीप हमेशा देश की माटी का
 भाव ये लेकर, निस्वार्थ प्राणोंत्सर्ग कर गए 
 बुरी खबर यह पूरे गांव में फैल गई
 जो खा के गए थे कसम, वापस आने की
 वापस आए मगर बक्से मैं बंद होकर
 तिरंगे में लिपटकर
 चार कंधो पर
 पंचतत्व में विलीन हो गए
 वह माटी के लाल माटी में मिल गए
 वह गए तो गए
 पीछे एक पीढ़ी तैयार कर गए
 पिता की चिता को अग्नि देकर
 पुत्र भी वर्दी पहनकर 
 पिता के बलिदान को साकार कर गए


तारीख: 30.04.2025                                    प्रतीक बिसारिया




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