जब समय था समझ कहां थी,
समझ के आते ही समय बीत गया।
बीता समय कहां आएगा जब समझे सब रीत गया।।
अब समझ है पर समय कहां है,
बस थोड़ा है, कहां काफी है।
सपनों को पूरा करने की ,
उमर कहां अब बाकी है।।
सपनों के पिंजरे से अब तो ,
समय का पंछी उड़ गया।
उड़ा पंछी कहां आएगा,
पिंजरे को खाली कर गया।।
फिर भी जब तक है पिंजरा (सपना) तेरा,
अब पंछी (समय)नहीं उड़ने देना।
खूब करो तुम सेवा इसकी ( समय की),
सपनों को नहीं मरने देना ।।
यही कहना है मेरा सबसे,
यह पंछी (समय)सबसे प्यारा है।
साथ चलोगे अगर तुम इसके ,
तो इसका पंख तुम्हारा है।।
इसके पंखों से उड़ कर तो देखो,
आसमान अब सारा है।
यह पंख तुम्हें ले जाएगा वहां तक,
जो भी लक्ष्य तुम्हारा है।