
( मनहरण कवित्त छन्द )
वजन उठाओ
बेवकूफ़ बनती रही रात-दिन दुनिया,
बेहद वजन सहस्र सालों से उठाया।
तर्कशीलता तजकर गुलामी गीत गाये,
विचारशीलता विज्ञान विवेक भुलाया।
“मारुत” मानसिक गुलामी गहरा गह्वर,
अन्धविश्वासी अज्ञानी अंधभक्त बनाया।
वे वजन उठाते उमंग उत्साह से चले,
जिन्होंने प्रसू-पिता को नहीं पानी पिलाया।।